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हरियाणा भूपेंद्र हुड्डा के रोहतक की यह है पूरी कहानी

भूपेंद्र हुड्डा

भूपेंद्र हुड्डा के रोहतक की यह है पूरी कहानी

रोहतक हरियाणा के प्राचीन शहरों में शुमार है। 1 नवम्बर 1966 से ही यह जिला वजूद में है। पंवार राजा रोहतास के नाम पर इसका नाम रोहतक पड़ा। यह भी माना जाता है कि रोहतक शहर में रोहराका नाम का एक पेड़ था।

इसी के चलते भी इसका नाम रोहतक रखा गया। रोहतक मंडल है और इस जिले के अंतर्गत महम, कलानौर व सांपला तहसीलें आती हैं। इसके अलावा रोहतक में कलानौर, गढ़ी-सांपला-किलोई, रोहतक और महम विधानसभा क्षेत्र हैं।

नकुल दिग्विजय ग्रंथ में भी रोहतक का जिक्र मिलता है। रोहतक को शिक्षा का हब भी माना जाता है। किसी जमाने में महज एक सरकारी कालेज हरियाणा में था और वो रोहतक में ही था। रोहतक में महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी है।

इस विश्वविद्यालय की स्थापना साल 1976 में र्हु थी। इसके अलावा 8वीं शताब्दी में बनाय गया अस्थल बोहर मठ भी है। इस मठ की बहुत मान्यता है। इसी मठ के अंतर्गत बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय भी है।

हरियाणा का पहला आकाशवाणी केंद्र भी साल 1976 में रोहतक में स्थापित किया गया था। रोहतक में एक बहुत ही प्रसिद्ध चिडिय़ाघर है तो लाखन माजरा में ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब है।

वर्तमान रोहतक जिले का गठन तब शुरू हुआ। 1824 में रोहतक जिले में गोहाना, खारखोद, रोहतक, बेरी और मेहम-भिवानी तहसील से मिलकर एक अलग इकाई के रूप में स्थापित किया गया था।

पंजाब से स्थानांतरण के बाद रोहतक जिले के अपने मौजूदा स्वरूप को ग्रहण करने से पहले कई बदलाव हुए। बहादुरगढ़ स पत्ति को सांपला तहसील में जोड़ा गया।

नारनौल, कन्नड़ और दहिरी के कुछ क्षेत्रों सहित झज्जर को पहली बार एक नई जिले के रूप में बनाया गया था। 1884 में हिसार प्रभाग के उन्मूलन पर, रोहतक जिला दिल्ली डिवीजन में स्थानांतरित किया गया था इसमें चार तहसीलों-रोहतक, गोहाना, झज्जर और समप्ला शामिल थे। अप्रैल 1910 में, प्रशासनिक अर्थव्यवस्था के कारणों के लिए सांपला तहसील को समाप्त कर दिया गया था और इसके क्षेत्र को रोहतक और झज्जर तहसीलों के बीच विभाजित किया गया था, जिसने दिल्ली के जिले से जुड़ा याद दिलाया था।

1861 के बाद से और रोहतक जिले में जोड़ा गया था। 1912 में, पंजाब से दिल्ली क्षेत्र के पृथक्करण पर रोहतक अंबाला डिवीजन से जुड़ा हुआ था। 1973 में मेहम उप-तहसील को तहसील के रूप में अपग्रेड किया गया था। सोनीपत तहसील रोहतक के विभाजन का विभाजन करके बनाया गया था, और गोहाना और सोनीपत तहसीलों को सोनीपत जिले को आवंटित किया गया था।

एक और तहसील, कोसली को झज्जर तहसील से बनाया गया था और नहर उप-तहसील को समाप्त कर दिया गया था और दो हिस्सों में रोहतक का विभाजन हुआ था, जिसमें पांच तहसीलों, रोहतक, बीगढ़, झज्जर, मेहम और कोसी और एक उप-तहसील एम। भी बनाया गया था नवंबर, 1989 में दूरसंचार के पुनर्गठन जगह ले ली और गोहाना तहसील फिर रोहतक जिले के साथ जुड़ा हुआ था। रेवाड़ी का बादली, मातनहेल और बेरी के तीन उप-तहसील जुलाई, 92 में फिर से बनाए गए, गोहाना तहसील को फिर से सोनीपत जिले में स्थानांतरित किया गया। और बादली उप-तहसील को बाद में समाप्त कर दिया गया था।

जुलाई 1997 में, झज्जर जिला रोहतक जिले के विभाजन को रोहतक और झज्जर जिले में विभाजित करने के बाद बनाया गया था और वर्तमान रोहतक जिले में रोहतक और मेहम तहसील शामिल हैं, जबकि झज्जर और बहादुरगढ़ तहसील झज्जर जिले में हैं। रोहतक जिला चारों तरफ से हरियाणा के ही पाँच जिलों से घिरा हुआ है। ऐसा भी माना जाता है कि पहले रोहतासगढ़ कहलाने वाले रोहतक की स्थापना रोहतास नामक एक राजा द्वारा की गई थी। यहां 1140 में निर्मित दीनी मस्जिद है।

रोहतक अनाज और कपास का प्रमुख बाज़ार है। यहाँ की औद्योगिक गतिविधियों में खाद्य उत्पाद, कपास की ओटाई, चीनी और बिजली के करघे पर बुनाई का काम उल्लेखनीय है। रोहतक में महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय है, जिससे स बद्ध अनेक महाविद्यालयों में जाट हीरो मेमोरियल कॉलेज रोहतक जी. बी. आयुर्वेदिक कॉलेज, आई. सी. कॉलेज, वैश कॉलेज आफ़ इंजीनियरिंग ओर गोड ब्रामण डिग्री कालेज व जाट कॉलेज हैं व मस्तनाथ महाविद्यालय भी हैं। पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विश्वविद्यलय चिकित्सकिय शिक्षण में एक श्रेष्ठ संस्थान है। रोहतक को शैक्षणिक नगर के नाम से जाना जाता है।

अगर हम प्रसिद्ध हस्तियों की बात करें तो किसानों के मसीहा सर छोटू राम रोहतक के रहने वाले थे। सर छोटू राम को भाखड़ा डैम की परियोजना शुरू करने के अलावा किसानों के हित में कदम उठाने के लिए आज भी याद किया जाता है। दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा भी रोहतक जिला हैं। इसके अलावा अभिनेता रणदीप हुड्डा, निर्देशक सुभाष घई रोहतक से हैं।

हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का जन्म भी रोहतक के गांव निदाना में हुआ। रोहतक में पर्यटन के लिहाज से तिलयार झील काफी प्रसिद्ध है। इसके अलावा रोहतक में चौधरी बंसीलाल के नाम पर गांव लाहली में एक क्रिकेट स्टेडियम है। प्रदेश का पहला इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमेंट भी रोहतक में बनाया गया।

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